भर दे दिल मेँ यह दिवाली आपके ख़ुशियोँ के रंग: डा. अहमद अली बर्की आज़मी

भर दे दिल मेँ यह दिवाली आपके ख़ुशियोँ के रंग: डा. अहमद अली बर्की आज़मी

भर दे दिल मेँ यह दिवाली आपके ख़ुशियोँ के रंग
आपके इस रंग मेँ पडने न पाए कोई भंग

जो जहाँ हो उसको हासिल हो वहाँ ज़ेहनी सुकून
दूर हो जाए जहाँ से बुगज़, नफरत और जंग

अपने दिल को साफ रखिए आप मिसले आइना
आपकी शमशीरे ईमाँ पर न लगने पाए ज़ंग

है ज़रूररत वक्त की आपस में रखिए मेल जोल
भाइचारा देख कर सब आपका रह जाएँ दंग

आइए आपस मेँ मिल कर यह प्रतिज्ञा हम करेँ
रंग मे अपनी दिवाली के न पडने देँगे भंग

महफ़िले शेरो सुख़न मेँ जश्न का माहौल है
कीजिए नग़मा सराई आप बर्क़ी लेके चंग

डा. अहमद अली बर्की आज़मी

Poetic Tribute to Mother on the Occasion of Mother's Day

माँ की ममता का नहीँ कोई शुमार


माँ की ममता का नहीँ कोई शुमार
डा. अहमद अली बर्क़ी आज़मी
माँ की ममता का नहीँ कोई शुमार
माँ है सन्ना-ए-अज़ल का शाहकार
माँ से है गुलज़ार-ए-हस्ती मेँ बहार
माँ है ऐसा गुल नहीँ है जिसमेँ ख़ार
माँ का कोई भी नहीँ नेअमल बदल
यह हक़ीक़त है सभी पर आशकार
माँ है वह गहवारा-ए-अमनो सुकूँ
जिस से है माहौल घर का साज़गार
माँ का है मरहून-ए-मिन्नत यह वजूद
है मताए ज़िंदगी माँ पर निसार
माँ नहीँ होती अगर होता कहाँ
आज जो हासिल है यह इज़ज़ो वक़ार
माँ की शफक़त हैँ जहाँ मे बेमिसाल
माँ है घर मेँ एक नख़ल-ए-सायादार
हकके मादर हो नहीँ सकता अदा
माँ है बर्क़ी रहमत-ए-परवरदिगार

Nazar Se Us Ne Giraayaa To Aankh Bhar Aaii


Ghazal: Aankh bhar Aaii
Dr.Ahmad Ali Barqi Azmi
Woh hasb e wada na aayaa to aankh bhar aai
Mujhe tamasha banaya to aankh bhar aaii

Saja ke rakhta thaa palkoN pe jis ko main aksar
Nazar se us ne giraayaa to aankh bhar aaii

Hamesha karta tha meri jo naaz bardaari
Usi ka naaz uthaaya to aankh bhar aaii

Jise samajhta tha main dil nawaaz jab us se
Sukoon e qalb na paaya to aankh bhar aaii

Woh mujh se bharta tha dam dosti ka lekin jab
Udoo se haath milaaya to aankh bhar aaii

Na thaa yeh wahm o gumaaN mujh ko woh bulaye ga
Magar jab us ne bulaaya to aankh bhar aaii

NahiN hai shikwa koii doston se aye Barqi
Fareb dost se khaayaa to aankh bhar aaii

तरही ग़जल :कौन चला बनवास रे जोगी

तरही ग़जल
कौन चला बनवास रे जोगी
डा.अहमद अली बर्क़ी आज़मी

प्रीत न आई रास रे जोगी
ले लूँ क्या बनवास रे जोगी

दर-दर यूँ ही भटक रहा हूँ
आता नहीँ क्यों पास रे जोगी

रहूँ मैं कब तक भूखा प्यासा
आ के बुझा जा प्यास रे जोगी

देगा कब तू आख़िर दर्शन
मन है बहुत उदास रे जोगी

कितना बेहिस है तू आख़िर
तुझे नहीं एहसास रेजोगी

मन को चंचल कर देती है
अब भी मिलन की प्यास रे जोगी

छोड़ के तेरा जाऊँ कहाँ दर
मैं तो हूँ तेरा दास रे जोगी

देख ले मुड़कर ज़रा इधर भी
कौन चला बनवास रे जोगी

सब्र की हो गई हद ‘बर्क़ी’ की
तेरा हो सत्यानास रे जोगी

آئی ہولی خوشی کا لے کے پیام


आई होली ख़ुशी का ले के पयाम

आई होली ख़ुशी का ले के पयाम

डा अहमद अली बर्क़ी आज़मी





आई होली ख़ुशी का ले के पयाम

आप सब दोस्तोँ को मेरा सलाम



सब हैँ सरशार कैफो मस्ती मेँ

आज की है बहुत हसीँ यह शाम



सब रहेँ ख़ुश युँही दोआ है मेरी

हर कोई दूसरोँ के आए काम



भाईचारे की हो फ़जा़ ऐसी

बादा-ए इश्क़ का पिएँ सब जाम



हो न तफरीक़ कोई मज़हब की

जश्न की यह फ़ज़ा हो हर सू आम



अम्न और शान्ती का हो माहोल

जंग का कोई भी न ले अब नाम



रंग मे अब पडे न कोई भंग

सब करेँ एक दूसरे को सलाम



रहें मिल जुल के लोग आपस मेँ

मेरा अहमद अली यही है पयाम

Hind MeiN Jamhooriyat ke saath Saal


Hind MeiN Jamhooriyat ke saath Saal
Ahmad Ali Barqi Azmi

Hind meiN jamhooriyat ke saath saal
Ahd e nau meiN aaj haiN ek nek phaal

Hai DarakhshaaN is ka maazi aur haal
Is ki azmat ke nishaaN hain la zawaal

Hai jahaaN bhi aaj jamhoori nizaam
Dete haiN ahl e nazar is ki misaal

In guzashtah saath saaloN meiN yahaaN
Fikr o fun ka baar aawar hai nehaal

Hai yeh aqsaa e jahaaN meiN sar buland
KyoN na haasil ho ise auj e kamaal

IT meiN yeh sar e fihrist hai
Jo hai fikr o fun ka dilkash ittesaal

Dekh kar ahl e nazar haiN dam bakhud
Is ki tahzeebi rawaayat ka jalaal

Is ke haiN fitri manazir dilfareb
Hai yeh ek mashshatah e husn o Jamaal

Hai dua meri basad ijz o neyaaz
HooN na yeh jamhoori qadreiN paimaal

Amn e aalam ka ho yeh Barqi naqeeb
Is ko haasil ho urooj e la zawaal

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